***विदेशों की पढाई भारत मां को काम न आई***

***विदेशों की पढाई भारत मां को काम न आई***
आजादी से पहले और आजादी के बाद हमने ज्यादातर विदेशों में पढे भारतीयों को भारत में आकर यहां की भोलीभाली जनमानस को मुर्ख बनाते और उन्हें शोषित करते देखा है। ये विदेशों से उच्च शिक्षा लेकर भारत की उर्वरा भुमि को सिंचित नहीं किया बल्कि दीमक की तरह खोखला किया है। चाहे लंपट नेहरू हों या उनके समकक्ष लोग!

2009 -10 में जब शशि थरूर राजनीति में आए तो मैं बहुत उत्साहित था। मैं अपने दोस्तों से अक्सर जिक्र करता कि कैसे अत्यधिक निपुण लोगों और उनके जैसे बुद्धिमान लोगों के राजनीति में आने से भारत की राजनीति और सशक्त और बेहतर हो जाएगी। कांग्रेस से मेरा मोहभंग तो दशकों पहले हो गया था। हमें लगा कि आईआईटीयन केजरीवाल, आईपीएस किरण बेदी, महान अभिनेता आमिर खान द्वारा समर्थित अन्ना हजारे भारत में एक नए बदलाव की शुरूआत करेंगे। मैंने भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन में चंदा भी दिया, नारे लगाने रामलीला मैदान गया। धुर्त केजरीवाल ने जीतना निराश किया अब आंदोलनों से मोहभंग हो गया है।

*अब अगर मैं इसे पीछे मुड़कर देखता हूं, तो मैं केवल एक ही चीज कर सकता हूं, वह है खुद पर हंसना। लेकिन मुझे खुशी है कि मुझे अपनी सोच की सबसे बड़ी खामी का एहसास हुआ। हम शशि थरूर या केजरीवाल जैसे लोगों का समर्थन इसलिए करते हैं क्योंकि वे पढ़े-लिखे हैं। हमें बचपन से ब्रेनवॉश किया जाता है कि शिक्षा अच्छाई के बराबर है*।
*नहीं, यह नहीं है*।

*पी. चिदंबरम हार्वर्ड से एमबीए हैं और हम सभी जानते हैं कि इन्होंने क्या किया, गमलों में करोड़ों का सब्जियां उगा डाली। कैंब्रिज से हैं पाकिस्तान परस्त मणिशंकर अय्यर- वो किस तरह की बकवास करते हैं, हम सब जानते हैं। कपिल सिब्बल हार्वर्ड लॉ ग्रेजुएट हैं और वह केवल आतंकवादियों के लिए दया याचिका लिखते हैं*। हर वो केस लड़ेंगे जो भारतभूमि के खिलाफ हो।

*ऐसा नहीं है कि कांग्रेस में उच्च शिक्षित लोग नहीं थे। उनमें से बहुत सारे थे लेकिन वे सभी महाधुर्त और महाठग थे। एक उच्च शिक्षित धुर्त, महाठग और भी खतरनाक होता है क्योंकि वह आपको और भी नए तरीकों से ठग सकता है*।

इस्लामी आक्रमणकारियों से लेकर अंग्रेजों तक सभी को उच्च शिक्षित और बुद्धिमान भारतीयों का समर्थन प्राप्त था। हां, आपको उन्हें देश पर शासन करने की आवश्यकता है? इसलिए *भारत के शासकों ने बदमाशों के एक समूह को तैयार किया जो हम पर शासन करने और हमें गरीब बनाए रखने के लिए पढ़े-लिखे थे। और लंपट नेहरू और उनके परिवार ने भी इस चलन को जारी रखा और भारत पर शासन करने के लिए उच्च शिक्षित बदमाशों के एक समूह को तैयार किया। आज हम इस समूह को लुटियन कहते हैं क्योंकि ये दिल्ली के लुटियंस नामक इलाके में रहते हैं और हमें लूटते हैं।*

भाजपा और मोदी राजनीति में क्या बदलाव लाए हैं?

*इसने मेरे जैसे जोकरों को एहसास कराया कि हावर्ड, कैंब्रिज की डिग्री आपको देशभक्त नहीं बनाती, ईमानदारी पैदा नहीं करती है या अच्छाई नहीं लाती है। बल्कि स्वार्थी और कमीनापन ज्यादा लाती है ताकि आप दूसरों को नए तरीके से शोषित करो और उन्हें बदनाम भी करो, जिस देश का खाओ उसे लूटो और लूटवाओ*

*लेकिन जो लोग भारत की संस्कृति और सभ्यता के आधार पर चरित्र, व्यक्तित्व का निर्माण करते हैं उनमें देशभक्ति और अच्छाई होती है*।

विश्वास न हो तो यह प्रयोग करें:
*आप देश के किसी भी हिस्से में और साल में कभी भी किसी भी आरएसएस शाखा में जा सकते हैं*।

और देखें कि वे उन छात्रों को क्या सिखाते हैं - देशभक्ति, सेवा, अच्छाई, ईमानदारी और सादगी।

यह हर दिन और पूरे साल किया जाता है।

बताओ कि कौन सी आइवी लीग यूनिवर्सिटी, आईआईटी, आईआईएम, सेंट स्टीफंस, दून स्कूल या कोई भी स्कूल जहां आप फीस के रूप में लाखों रुपये देते हैं, उसमे देश भक्ति , देश सेवा पढ़ाते हैं या सिखाते है?

*मैं दुनिया के शीर्ष विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम को पढा, देखा और समझा, लेकिन कहीं भी उन पाठ्यक्रमों में मुझे देशभक्ति, समाजिक लोकोचार या अच्छाई की शिक्षा नहीं दिखाई दी*।

यह मेरे पिता हैं जिन्होंने मुझे पढ़ाया है और स्वामी विवेकानंद द्वारा लिखी गई किताबें पढ़ी हैं या वह व्यक्ति जिसे मैं शहीद भगत सिंह का आदर्श मानता हूं जिसने ऐसा किया।

आरएसएस की शाखाएं प्रतिदिन संघ जाने वाले सभी लोगों के लिए करती हैं। इसलिए मोदी जैसे लोग इतने देशभक्त और ईमानदार हैं। मुझे परवाह नहीं है कि वह स्कूल जाता है या उसके पास एमए है या नहीं।

एक व्यक्ति जो स्वामी विवेकानंद को पढ़ता है या आरएसएस की शाखा में जाता है, वह किसी भी दिन आईआईटी या हार्वर्ड डिग्री वाले बदमाश से बेहतर है।

हाँ, यही हमें महसूस करने की आवश्यकता है।

*अपने स्वयं के लोकाचार या अपने देश की अच्छाई पर विश्वास करें। आप किसी भी दिन उन डिग्रियों पर विश्वास करने से बेहतर होंगे*।

ठाकुर की कलम से

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