#निर्णय का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा "निर्णय कौन करता है?" -

#निर्णय का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा "निर्णय कौन करता है?"  -

किसी भी निर्णय का सबसे महत्वपूर्ण भाग होता है कि वह निर्णय कौन ले रहा है। और किसी भी निर्णय के लिए जो सबसे जरूरी कॉम्पोनेंट है वह है जानकारी। बिना नॉलेज के कोई डिसीजन नहीं लिया जा सकता।

पर नॉलेज समाज में किसी एक के पास नहीं है, वह बिखरा पड़ा है। जो आपको पता है वह मुझे नहीं पता। रामू के लिए क्या सबसे अच्छा है यह श्यामू नहीं जान सकता। और एक व्यक्ति का निर्णय कहीं ना कहीं दूसरे को प्रभावित करता है। जब मैं अपनी गाड़ी सड़क पर निकालता हूं तो वह आपकी गाड़ी के लिए ब्रेक लगाने का कारण बनती है। तो कुल मिला कर सामूहिक निर्णय कैसे लिए जाते हैं? 
    समाज की सामूहिक निर्णय प्रक्रिया का नाम ट्रेडिशन या परम्परा है। परम्परा वह निर्णय प्रक्रिया है जिसमें समाज के अधिक से अधिक लोगों के नॉलेज का कंट्रीब्यूशन होता है। परम्परा को कठोर अपरिवर्तनीय चीज नहीं है, वह सबके योगदान से नित परिवर्तनशील चीज है पर उसके परिवर्तन की गति इतनी सूक्ष्म और सहज होती है कि वह अपरिवर्तनशील होने का भ्रम देती है। परम्परा की खास बात यह नहीं होती कि वह बदलती नहीं है, बल्कि यह होती है कि उस बदलाव का निर्णय कोई एक व्यक्ति नहीं लेता। आप उस निर्णय को किसी एक क्षण और एक व्यक्ति पर नहीं आरोपित कर सकते।

वामपन्थ को पॉवर चाहिए और पॉवर है क्या? दुसरे के बदले निर्णय लेने का अधिकार ही पॉवर है।

यह हम जानते हैं कि वामपंथियों को ट्रेडिशंस से समस्या है। पर यह समस्या है क्या? उनकी मूल समस्या ट्रेडीशन के इस प्रोसेस से है जिसमें इस निर्णय प्रक्रिया को वे कंट्रोल नहीं करते। वह समाज में डिसेंट्रलाइज्ड है। तो जहां कहीं भी इस निर्णय प्रक्रिया को सेंट्रलाइज करने की लड़ाई हो, वह लड़ाई वामपंथियों की है। शासन में डिक्टेटरशिप, इकोनॉमी में सोशलिज्म, लॉ मेकिंग में कोर्ट का हस्तक्षेप, ये सभी निर्णय प्रक्रिया के केंद्रीकरण के हथियार हैं। (कोई डिक्टेटरशिप दक्षिणपंथी नहीं होता, डिक्टेटर परिभाषा से ही वामपंथी होता है। अगर एक वामपंथी चुनकर भी आता है तो वह चुनाव की इस प्रक्रिया को ऐसा बना देता है कि उसके पास डिक्टेटोरियल पॉवर आ जाते हैं)

   समाज में निर्णय प्रक्रिया सामान्यतः भी हर स्तर पर विभाजित होती रहती है। कुछ निर्णय सरकार के होते हैं जिन्हें मानना बाध्यकारी होता है। कुछ निर्णय समाज में परंपराओं के दबाव में लिए जाते हैं। पर सभ्य समाज के ऑर्गेनाइजेशन का वह यूनिट जहां निर्णय लेने की स्वतंत्रता सबसे अधिक प्रभावी होती है, वह होता है परिवार। ज्यादातर निर्णय न तो सरकार के द्वारा लिए जाते हैं, ना ही व्यक्ति के द्वारा पूर्ण रूप से स्वतंत्र होकर। सबसे अधिक निर्णय परिवार के स्तर पर लिए जाते हैं। इसलिए सबसे अधिक पॉवर इस परिवार की इकाई में छुपा है।
और इसीलिए परिवार वामपंथ का सबसे बड़ा शत्रु है। उसे इस इकाई को तोड़ना है। वह व्यक्तिवाद को एक्सट्रीम तक ले जाकर परिवार को तोड़ने की कवायद में लगा है, क्योंकि उसे पता है कि एक व्यक्ति समाज की वायबल यूनिट नहीं हो सकता। अकेला व्यक्ति उसके बाद सरकार पर डिपेंडेंट हो जायेगा, उसकी निर्णय प्रक्रिया को अपने हाथ में लेना आसान हो जायेगा। इसलिए व्यक्ति को गुलाम बनाने के लिए परिवार को तोड़ना जरूरी है। इसीलिए वामपंथी सबसे अधिक जोरशोर से इसी एक काम में लगे हैं।

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