भूमिहार या बाभन अयाचक ब्राह्मण एक ऐसी सवर्ण जाति है जो अपनेशौर्य, पराक्रम एवंबुद्धिमत्ता के लियेजानी जाती है।
भूमिहार या बाभन अयाचक ब्राह्मण
एक ऐसी सवर्ण जाति है जो अपने
शौर्य, पराक्रम एवं
बुद्धिमत्ता के लिये
जानी जाती है। पश्चिचमी उत्तर
प्रदेश एवं हरियाणा में निवास
करने वाले भूमिहार जाति अर्थात
अयाचक ब्रहामणों को त्यागी नाम
की उप-जाति से जाना व
पहचाना जाता हैं।मगध के महान
पुष्य मित्र शुंग और कण्व वंश
दोनों ही ब्राह्मण राजवंश
भूमिहार ब्राह्मण (बाभन) के थे
भूमिहार ब्राह्मण भगवन परशुराम
को प्राचीन समय से अपना मूल
पुरुष और कुल गुरु मानते है
भूमिहार ब्राह्मण समाज में कुल १० उपाधिय है
१-पाण्डेय
2-तिवारी/त्रिपाठी
3- मिश्र
4- शुक्ल
5-यजी
६-करजी
7-उपाध्यय
8- शर्मा/राय
9-ओझा
10-दुबे \द्विवेदी इसके अलावा राजपाट और
ज़मींदारी के कारन एक बड़ा भाग
भूमिहार ब्राह्मण
का राय ,शाही ,सिंह, उत्तर प्रदेश
में और शाही , सिंह (सिन्हा) ,
चौधरी ,ठाकुर बिहार में लिखने
लगा बहुत से भूमिहार या बाभन
भी लिखते है
राज पाट
0१-बनारस का साम्राज्य
०२. बेतिया राज यह बिहार
की दूसरी सबसे
बड़ी जमींदारी थी इसका भूभाग
eighteen hundred square मिल्स
पर नियंत्रण
०३. टेकारी राज 2,०४६ गावो और
7,500 km2 के बड़े भूभाग पर
नियंत्रण
०४. हथुआ राज 1,३६५ गावो पर और
एक बड़े भूभाग पर नियंत्रण
०५. तमकुही राज
०६. अनापुर राज
०७. अमावा राज
०८. बभनगावां राज
०९. भरतपुरा राज
१०. धरहरा राज
११. शिवहर राज
१२. मकसुदपुर राज
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