दलितों की समस्या

यदि आप अपने को प्यार नही करते,
दूसरे भी आपको प्यार क्योँ करेंगे?
यदि आप अपना सम्मान नही करते तो दूसरे भी आपका सम्मान नही करेंगे।

यही दलितों की समस्या है।
जब आप खुद ही अपने को नीचा समझोगे तो दूसरे आपको ऊंचा कैसे समझे।
आप दिन रात ब्राह्मणों को कोसते हो, उनकी बुराई करते हो पर खुद ब्राह्मण बनना चाहते हो तभी तो बड़ी संख्या में दलित ब्राह्मणों के सरनेम लगाते है।
यानी आप भी ब्राह्मण बनना चाहते हैं।
एक राजपूत को ब्राह्मण साथ खाना नही खिलाता।
पर  राजपूत इससे नाराज नही होता।
लेकिन आप ब्राह्मण के साथ खाना चाहते हैं, नही तो आप नाराज हो जाते है। और भेदभाव का आरोप जड़ देते हैं।
ब्राह्मण राजपूतो, वैश्यों में शादियां नही करते फिर भी क्या कभी आपने राजपूतो, वैश्यों, पिछडो को कोई शिकायत करते सुना?
नही।
लेकिन आप शादियां  ब्राह्मणों में करना चाहते हो।
क्यों भाई ?
क्या आपके समाज में वर बधू लायक युवक युवतियां नही हैं।
जब ऐसा नही होता है तो
आप नाराज हो जाते है ,
कि आप के साथ भेद भाव हो रहा।
अगर खाना साथ न खाना शादियां न करना भेद भाव है तो फिर ये भेद भाव तो वैश्यों और राजपूतो के साथ भी ब्राह्मण करते हैं । फिर तो इनको भी आरक्षण मिलना चाहिए।
आप कहते हो कि आपको पूजा करने के लिए मंदिर नही जाने दिया जाता और आपने देवताओ का अपमान करना शुरू कर दिया। क्यो भाई ?
बड़ी जल्दी आस्था, श्रद्धा गायब हो गई।
श्रद्धा तो थी ही नही कभी वरना यूँ कभी अपमान न करते भगवान का। हाँ जिन्होंने आपको रोका उनसे संघर्ष करते। भगवान ने तो नही रोका आपको।
अपने अलग मंदिर बना लेते।  और पूजा करते, तब तो बात थी।
पर नही ।
मंदिर भी आपने बनाये तो अपने अलग भगवान भी बना लिए।
पर फिर भी खुश न हुए।
15 -18 प्रतिशत सवर्ण अपने मे खुश है। पर 22 -24 प्रतिशत आप अपनों में खुश क्यो नही।
आप तो बड़ा वर्ग हैं। पार्टीयो के दुलारे, सरकारों की आंखों के तारे हैं। फिर भी दुखी हैं।
भेदभाव का आरोप। 
सवर्ण आपको नही बुलाते तो आप भी उनको अपने कार्यक्रमो में मत बुलाओ।
आप सवर्णों से प्रमाणपत्र क्यो चाहते हैं।

पर ये आपसे नही हो पा रहा है क्योकि आप अपना सम्मान खुद नही करते। आप स्वयं को नीचा खुद ही समझते है। और
आप खुद ब्राह्मणों, क्षत्रियों जैसा बनना चाहते है।
जिनको आप बुरा कहते हैं।
वस्तुतः आप भ्रमित हैं।

Comments