बनिया धन का भूखा होता है।
क्षत्रिय खून का प्यासा होता है।
दलित अन्न का भूखा होता है।
पर ब्राम्हण ??????
साहब ब्राम्हण सम्मान का भूखा होता है।
ब्राम्हण को सम्मान दे दो वो तुम्हारे लिऐ
जान देने को तैयार हो जाऐगा।
अरे दुनिया वालो आजमाकर
तो देखो हमारी दोस्ती को।
मुसलमान अशफाक उल्ला खान बनकर हाथ
बढ़ाता है,हम बिस्मिल बनकर गले लगा लेते है।
क्षत्रिय चंद्रगुप्त बनकर पैर छू लेता है,हम
चाणक्य बनकर पूरा भारत जितवा देते है।
सिख भगत सिह बनकर हमारे पास आता है।
हम चंद्रशेखर आजाद बनकर उसे बेखौफ
जीना सिखा देते है।
कोई वैश्य गाधी बनकर हमे गुरु मान लेता है हम
गोपाल कृष्ण गोखले बनकर उसे
महात्मा बना देते है।
और
कोई शूद्र शबरी बनकर हमसे वर मागता है,
तो हम उसे भगवान से मिलवा देते है।
अरे एक बार सम्मान तो देकर देखो हमें...........
........ फर्ज न अदा करे तो कहना
जय जय राम!!जय जय परशुराम!!
-- पुराणों में कहा गया है -
विप्राणां यत्र पूज्यंते रमन्ते तत्र देवता ।
जिस स्थान पर ब्राह्मणों का पूजन हो वंहा देवता भी निवास करते हैं अन्यथा ब्राह्मणों के सम्मान के बिना देवालय भी शून्य हो जाते हैं । इसलिए
ब्राह्मणातिक्रमो नास्ति विप्रा वेद विवर्जिताः ।।
श्री कृष्ण ने कहा - ब्राह्मण यदि वेद से हीन भी तब पर भी उसका अपमान नही करना चाहिए । क्योंकि तुलसी का पत्ता क्या छोटा क्या बड़ा वह हर अवस्था में कल्याण ही करता है ।
ब्राह्मणोंस्य मुखमासिद्......
वेदों ने कहा है की ब्राह्मण विराट पुरुष भगवान के मुख में निवास करते हैं इनके मुख से निकले हर शब्द भगवान का ही शब्द है, जैसा की स्वयं भगवान् ने कहा है की
विप्र प्रसादात् धरणी धरोहम
विप्र प्रसादात् कमला वरोहम
विप्र प्रसादात्अजिता$जितोहम
विप्र प्रसादात् मम् राम नामम् ।।
ब्राह्मणों के आशीर्वाद से ही मैंने धरती को धारण कर रखा है अन्यथा इतना भार कोई अन्य पुरुष कैसे उठा सकता है, इन्ही के आशीर्वाद से नारायण हो कर मैंने लक्ष्मी को वरदान में प्राप्त किया है, इन्ही के आशीर्वाद से मैं हर युद्ध भी जीत गया और ब्राह्मणों के आशीर्वाद से ही मेरा नाम "राम" अमर हुआ है, अतः ब्राह्मण सर्व पूज्यनीय है । और ब्राह्मणों का अपमान ही कलियुग में पाप की वृद्धि का मुख्य कारण है ।
- किसी में कमी निकालने की अपेक्षा किसी में से कमी निकालना ही ब्राह्मण का धर्म है,
ब्राह्मणो का योगदान -
भारत के क्रान्तिकारियो मे 90% क्रान्तिकारी ब्राह्मण थे जरा देखो कुछ मशहूर ब्राह्मण क्रान्तिकारियो के नाम
ब्राह्मण स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी
(१) चंद्रशेखर आजाद
(२) सुखदेव
(३) विनायक दामोदर सावरकर( वीर सावरकर )
(४) बाल गंगाधर तिलक
(५) लाल बहाद्दुर शास्त्री
(६) रानी लक्ष्मी बाई
(७) डा. राजेन्द्र प्रसाद
(८) पण्डित रामप्रसाद बिस्मिल
(९) मंगल पान्डेय
(१०) लाला लाजपत राय
(११) देशबन्धु डा. राजीव दीक्षित
(१२) नेताजी सुभाष चन्द्र बोस
(१३) शिवराम राजगुरु
(१४) विनोबा भावे
(१५) गोपाल कृष्ण गोखले
(१६) कर्नल लक्ष्मी सह्गल ( आजाद हिंद फ़ौज
की पहली महिला )
(१७) पण्डित मदन मोहन मालवीय
(१८) डा. शंकर दयाल शर्मा
(१९) रवि शंकर व्यास
(२०) मोहनलाल पंड्या
(२१) महादेव गोविंद रानाडे
(२२) तात्या टोपे
(२३) खुदीराम बोस
(२४) बाल गंगाधर तिलक
(२५) चक्रवर्ती राजगोपालाचारी
(२६) बिपिन चंद्र पाल
(२७) नर हरि पारीख
(२८) हरगोविन्द पंत
(२९) गोविन्द बल्लभ पंत
(३०) बदरी दत्त पाण्डे
(३१) प्रेम बल्लभ पाण्डे
(३२) भोलादत पाण्डे
(३३) लक्ष्मीदत्त शास्त्री
(३४) मोरारजी देसाई
(३५) महावीर त्यागी
(३६) बाबा राघव दास
(३७) स्वामी सहजानन्द
यह है ब्राह्मणो का भारत की क्रांती मे योगदान , तुम्हारा क्या है ? जरा बताओ तो तुम किस अधिकार से स्वयं को भारतीय
कहते हो और ब्राह्मणो का विरोध करते हो ।मुझे गर्व है
मैं ब्राह्मण हूं "
यदि ब्राह्मण नही होगा तो किसी का भी अस्तित्व
नही होगा
अथर्व वेद के 5/19/10 मे स्पष्ट लिखा है बाह्मणो की उपेक्षा व तिरस्कार की बात सोचने मात्र भल से सोचने वाले का सर्वस्व पतन होना शुरू हो जाता है ।क्योकि
ब्राह्मण दान देने पे आया तो
-दधीचि,
दान लेने पे आया तो
सुदामा
परीक्षा लेने पे आया तो
-भृगु,
तपोबल पे आया तो
कपिल मुनि
अहंकार को दबाने पे आया तो
अगस्त मुनि
धर्म को बचाने पे आया तो
आदि शंकराचार्य
नीति पे आया तो ...
-चाणकय,
नेतृत्व करने पे आया तो
-अटल बिहारी,
बग़ावत पे आया तो
-मंगल पांडे,
क्रांति पे आया तो
-चंद्रशेखर आज़ाद,
संगठित करने पे आया तो
-केशव बलिराम हेगड़ेवार,
संघर्ष करने पे आया तो
-विनायक राव सावरकर- निराश हुआ तो
-नाथु राम गोडसे
और
क्रोध मे आया तो
-परशुराम
Very good sir for telling the truth
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